बढ़ते शहरीकरण और जमीन की उर्वरा क्षमता में कमी आने की वजह से पिछले 4 से 5 वर्षों में रूफटॉप गार्डन (Roof / Terrace gardening) यानी छत पर बागवानी विधि का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है।
इसी बढ़ते हुए प्रभाव को मध्यनजर रखते हुए बिहार सरकार के बागवानी विभाग ने भी बिहार के शहरों में रहने वाले लोगों के लिए 'छत पर बागवानी योजना' नाम से नई परियोजना शुरू कर शहरों में बागबानी की उपज को बढ़ाने के लिए कमर कस ली है।
क्या है रूफटॉप गार्डन ?
रूफटॉप गार्डन मुख्यतः बड़े अपार्टमेंट और शहरों में बने घरों की छत पर बने हुए गार्डन होते हैं, जो सामन्यतः डेकोरेशन में इस्तेमाल होने के अलावा घर में रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। कई प्रकार के हाइड्रोलॉजिकल फायदे (Hydrological benefit) होने के अलावा, रूफटॉप गार्डन की मदद से घर के तापमान को भी नियंत्रित किया जा सकता है तथा छत पर होने वाली बारिश के पानी (Rain Water Harvesting) का भी बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।
क्या है बिहार सरकार की 'छत पर बागवानी योजना' का मुख्य उद्देश्य ?
कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले बागवानी विभाग की वेबसाइट के अनुसार इस योजना को मुख्यतः शहरी क्षेत्रों में बने घरों की छत पर फूल और फल तथा सब्जियां उगा कर दैनिक जीवन में इस्तेमाल करने योग्य बनाना है।
महाराष्ट्र, गुजरात तथा कर्नाटक जैसे राज्यों में छत पर बागवानी से जुड़ी योजनाओं की सफलता के बाद बिहार सरकार का यह प्रयास 'आत्मनिर्भर भारत' की राह पर एक प्रबल कदम है।
वर्तमान में इस योजना में बिहार के 4 जिले पटना, गया तथा मुजफ्फरपुर और भागलपुर को शामिल किया गया है। पटना के पटना सदर और फुलवारी तथा गया के बोधगया तथा मानपुर प्रखंडो में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे मुजफ्फरपुर के मुशहरी और भागलपुर के जगदीशपुर तथा नाथनगर जैसे प्रखंडों के निवासियों के लिए भी उपलब्ध करवाया जाएगा।
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क्या है योजना की पात्रता ?
बिहार सरकार की इस योजना का फायदा उठाने के लिए केवल वही लोग पात्र है, जिनके पास शहरी इलाकों में अपना खुद का घर हो या फिर वो किसी प्राइवेट अपार्टमेंट में किराए के फ्लैट में रहते हैं या उनका खुद का फ्लैट हो।
यदि किसी व्यक्ति के पास स्वयं का मकान है तो छत पर 300 स्क्वायर फीट की खाली जगह होनी चाहिए, साथ ही यह क्षेत्र किसी कानूनी लड़ाई में सम्मिलित नहीं होना चाहिए।
यदि आवेदक अपार्टमेंट के निवासी है तो उन्हें अपार्टमेंट की पंजीकृत सोसाइटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (No objection Certificate) लेने की आवश्यकता होगी।
यदि आपके पास अपना खुद का मकान है, तो एक इकाई में अधिकतम 75% तक क्षेत्रफल में ही योजना का लाभ दिया जाएगा।
पिछड़ी जातियों का खासतौर पर ध्यान रखते हुए किसी भी जिले में योजना के लिए प्राप्त सभी आवेदनों में से 16% आवेदन अनुसूचित जाति और 1% अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षित किए जाएंगे।
इसके अलावा बिहार सरकार के कृषि और बागवानी में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने के फ्लैगशिप प्रोजेक्ट के तहत, कुल भागीदारी में से 30% आवेदन महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाएंगे।
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योजना का लाभ उठाने की संपूर्ण प्रक्रिया :
ऊपर बताए गए चार जिलों में रहने वाले आवेदकों को सबसे पहले उद्यान निदेशालय की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। नीचे दिए गये लिंक की मदद से आप सीधे ही आवेदन कर सकते हैं :-
यहाँ क्लिक कर सीधे कर सकते हैं आवेदन
योजना का लाभ लेने के इच्छुक लोगों को ध्यान रखना होगा कि संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन ही संपादित होगी और इस प्रक्रिया में आवेदक को नाम और जाति संबंधित सभी जानकारियां देने के अलावा, योजना के कार्यान्वयन करने वाली कंपनी की जानकारी भी उपलब्ध करवानी होगी।
यदि कोई भी व्यक्ति इस योजना के लिए अलग से पैसे की मांग करता है तो उसकी शिकायत वेबसाइट पर ही उपलब्ध शिकायत निवारण पोर्टल (Grievance redressal portal) पर कर सकते हैं।
एक बार आवेदन जमा हो जाने के बाद आपको एक रसीद दी जाएगी, इस प्राप्त रसीद में एक बैंक खाता संख्या और अन्य प्रकार के विवरण दिए जाएंगे।
योजना का लाभ प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों को दिए गए बैंक खाते में 25000 रुपए की एकमुश्त राशि जमा करवानी होगी। इस बात का ध्यान रखें कि आगे की संपूर्ण प्रक्रिया इस राशि के जमा होने के बाद ही हो पाएगी।
यदि कोई व्यक्ति अपने घर की छत पर इस योजना का फायदा उठाना चाहता है तो वह अधिकतम 2 इकाइयों के लिए आवेदन कर सकता है और एक अपार्टमेंट या एक सोसायटी में रहने वाले लोग अधिकतम 5 इकाइयों का आवेदन कर सकते हैं।
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एक इकाई योजना में निम्न उपकरणों और सुविधाओं को शामिल किया गया है :
- जैविक बाग (organic garden) बनाने के लिए 4 किट
- ट्रे (Tray) के साथ आने वाली प्लास्टिक की पीएसटी
- 10 फ्रूट बैग (Fruit Bag)
- 10 फ्रूट प्लांट्स (Fruit Plants)
- सैपलिंग (sapling) में इस्तेमाल आने वाली 3 ट्रे
- हाथ से इस्तेमाल किया जाने वाला एक स्प्रे
- खुदाई और निराई गुड़ाई करने के लिए 2 खुरपी
इसके अलावा एक बार बागान बनने के बाद कृषि से जुड़े विशेषज्ञों की जानकारियां और ट्रेनिंग जैसी खास सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएगी।
आशा करते हैं कि Merikheti.com के द्वारा उपलब्ध करवाई गई यह जानकारी, 'छत पर बागवानी' करने के विषय में इच्छुक व्यक्तियों को पसंद आई होगी और खास तौर पर बिहार के निवासी, सरकार की इस स्कीम का फायदा उठाकर आने वाले समय में अच्छा मुनाफा कमाने के साथ ही जैविक सब्जियों का इस्तेमाल भी कर पाएंगे।
16-Sep-2022